Friday, September 20, 2013
Monday, September 16, 2013
नेता औ नेता में फर्क
नेता औ नेता में फर्क
गुलाब चंद जैसल (08/08/2013)
नेता औ नेता में फर्क क्या होता है?
मैं बोलता हूँ, वेरी सिम्पल-
बहुत मामूली-सा फर्क है,
एक जहाँ ‘ स्वर्ग है- दूसरा नर्क है।
लोग कहते हैं-
जरा खुल कर समझाइए-
बिल्कुल भी मत घबराइए-
आपके सिर पर है हमारा हाथ,
जनता है आपके साथ।
मैं बोलता हूँ –
नेता की मार पड़ेगी
तो-
जनता भी कुछ न कर पाएगी,
हाथ हिलाती चली जाएगी।
जब-
दुर्गा की शक्ति भी काम ना आई-
तो-
मैं तो अदना-सा कवि हूँ,
मैं कौन-सा राका या रवि हूँ।
फिर-
विषय पर आते हुए
मैंने समझाया,
तब का नेता बस गाँव के घाट का पानी पीता था,
आज का नेता घाट-घाट का पानी पीता है,
तब कहीं वह संसद में जीता है।
पहले का नेता चारा नहीं खाता था,
मिड-डे मील नहीं खाता था,
आज का नेता-
सड़क, जगह-जमीन,
पूरी-की-पूरी बस्ती खा जाता है,
बदले में डकार भी नहीं लेता है।
यह भाषा, भाषण, भूषण में फर्क नहीं जानता,
संसद में करना तर्क नहीं जानता।
तब वह सरकारी गाड़ी में आता था,
अपनी जनता से बतियाता था।
आज का नेता पचास साल का युवा है,
बड़ी-बड़ी निजी गाड़ी में आता है,
जनता के सामने हाथ हिलाता जाता है।
संसद में प्रश्न पूछने के लिए भी लेता है घूस-
चार साल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता है,
पाँचवे वर्ष में जनता के नजदीक आकर –
उसके मन को ताड़ता है।
अरे-
आज का नेता लोगों को अगवा किया करता है,
जबकि-
पहले का नेता चिराग-ए-तकवा किया करता है॥
चिराग-ए-तकवा किया करता है!!!
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